मैं खुद में खो चुका हूँ
तुमसे क्या आकर कहूँ
मैं खुद में ढल चूका हूँ
तुमसे क्या शिकायत करूँ

तू सूरज की तरह चमक चुकी है
तू हवा की तरह चलने लगी है
तू तेज है पानी की तरह
तू रौशनी है आग की तरह
तेरा दिल बहुत कोमल है
तुझसे क्या आकर कहूँ
तुझे पता नहीं ये दिल पत्थर का है
तू लोहा है तुझसे क्या कहूँ
Image by lisa runnels from Pixabay
Amazing poem ❤
Thank you suhani
Fantastic poem 👌👌👌
Thank you avani